एससीएसटी एक्ट में बदलाव का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी ने भाजपा को घेरा
प्रदेश संयोजक ने कहा- जहां भाजपा की सरकार वहां हुई ज्यादा हिंसा
लोगों की शांति रखने और उकसावे में न आने की अपील
भोपाल, 2 अप्रैल। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल ने एससीएसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को भाजपा सरकार की साजिश करार देते हुए कहा कि आरएसएस के इशारे पर काम करने वाली भाजपा सरकार नहीं चाहती है कि देश में वंचित तबकों को न्याय मिले और इसीलिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान अपने एजेंडे के तहत भाजपा ने हिंसा का प्रसार किया और कई जगहों पर सत्ताधारी दल की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। उन्होंने सवाल उठाया कि देश के जिन राज्यों में सर्वाधिक हिंसा हुई है, वहां महज संयोग नहीं है कि भाजपा की सरकार है। उन्होंने कहा कि मनुवादी आरएसएस ने संकल्प ले रखा है कि वह एससी-एसटी के अधिकारों और संरक्षण को खत्म करके रहेगी, लेकिन देश की जनता यह नहीं होने देगी। साथ ही उन्होंने हिंसा के दौरान हुई दुखद मौत पर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हिंसा की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरा देश इन पीडि़त परिवारों के साथ है। उन्होंने अपील की कि अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी उकसावे में न आएं।
उन्होंने आरएसएस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले ही आरक्षण का विरोध करते रहे हैं और भाजपा सरकार चूंकि संघ के इशारे पर ही काम करती है, तो इसी एजेंडे के तहत अपने हक के लिए सड़कों पर शांतिपूर्ण विरोध करने उतरे युवाओं को भड़काने का काम संघ परिवार के लोगों ने किया है। जिससे देश को आग में फैलाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि मनुवादी सोच का संघ परिवार नहीं चाहता है कि देश में वंचित वर्ग को न्याय मिले। इसीलिए न्यायपालिका के निर्णय पर पुनर्विचार की मांग के विरोध को अपने फायदे के लिए भुनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि नफरत के जो बीज संघ परिवार बो रहा है, उसके परिणाम बेहद भयावह होंगे।
उन्होंने कहा कि समाज को बांटने में जातिगत घृणा एक बड़ी वजह है। इसी वजह से एउन्होंने कहाससी/एसटी एक्ट लागू किया गया। उन्होंने कहा कि 20 मार्च के फैसले में शीर्ष अदालत ने इस तर्क की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि हमारे तंत्र की विडंबना है कि पक्षपातपूर्ण जांच और पूर्वाग्रहों के चलते अपराधी बरी हो जाते हैं और इन्हीं मामलों को आधार बनाकर माननीय न्यायालय ने एक्ट के प्रावधान शिथिल किए हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अगर एससीएसटी के मामले में दोष सिद्धि कम है, तो इसके लिए जांच प्रक्रिया को बेहतर किया जाना चाहिए और इसका एक अर्थ यह भी है कि दलित उत्पीडऩ के असली मामलों में संभवत: पीडि़त पक्ष अदालत के दरवाजे पर पहुंच ही नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और इस पर सभी पहलुओं और संभावनाओं पर बेहद बारीकी से ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 20 मार्च के फैसले में शीर्ष अदालत ने इस तर्क की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि हमारे तंत्र की विडंबना है कि पक्षपातपूर्ण जांच और पूर्वाग्रहों के चलते अपराधी बरी हो जाते हैं और इन्हीं मामलों को आधार बनाकर माननीय न्यायालय ने एक्ट के प्रावधान शिथिल किए हैं।
उन्होंने कहा कि देश के आदिवासी, दलित समुदाय का सैकड़ों वर्षों से शोषण होता आया है और इसी शोषण को देखते हुए बाबा साहेब अंबेडकर व अन्य संविधान निर्माता विभूतियों ने बहुत विचार-विमर्श के एससी एसटी समुदाय के अधिकारों की संरक्षण की बात संविधान में कही। यह सामाजिक सौहार्द और आर्थिक बराबरी के लिए सबसे जरूरी काम संविधान में किया गया है। अफसोस है कि खुद को देश भक्त कहने वाले आरएसएस के लोग संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाकर दलित-आदिवासियों के लिए न्याय का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज फैली हिंसा साफ तौर पर आरएसएस और भाजपा की साजिश का परिणाम हैं। इस मौके पर उन्होंने देश के सभी अमनपसंद और जिम्मेदार नागरिकों से अपील की इन ताकतों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देना है और समाज के शांतिपूर्ण समरसता के वातावरण को अक्षुण्य बनाए रखना है।